BA Semester-3 Defence and Strategic Studies - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2648
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।

अथवा
राष्ट्रीय शक्ति के मूर्त एवं अमूर्त तत्वों की व्याख्या कीजिये।
अथवा
राष्ट्रीय शक्ति क्या है? राष्ट्रीय शक्ति को प्रभावित करने वाले अमूर्त तत्वों का वर्णन कीजिए।
अथवा
राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए। राष्ट्रीय शक्ति को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो प्रत्यक्ष तत्वों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
अथवा
राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
राष्ट्रीय शक्ति का अर्थ बताइए तथा राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
अथवा
राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए एवं इसके विभिन्न तत्वों का वर्णन कीजिए।
अथवा
राष्ट्रीय शक्ति के मूर्त तत्व का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. राष्ट्रीय शक्ति के मूर्त तत्वों की संक्षेप में व्याख्या कीजिये।
2. राष्ट्रीय शक्ति के अमूर्त तत्वों की व्याख्या कीजिए।

अथवा
अमूर्त तत्व क्या होते हैं?
3. राष्ट्रीय शक्ति को अमूर्त तत्व के रूप में नेतृत्व को समझाइए।
4. राष्ट्रीय शक्ति के तत्व क्या हैं?
5. जनसंख्या पर टिप्प्णी करें।
6. राष्ट्रीय शक्ति |
7. किसी राष्ट्र की सैन्य शक्ति के लिए कौन-कौन से तत्व उत्तरदायी हैं? समीक्षा कीजिए।

उत्तर -

राष्ट्रीय शक्ति

साधारण तौर पर हम कह सकते हैं कि दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता ही शक्ति है। जबकि दूसरे शब्दों में दूसरों को नियंत्रित करने और उनसे अपना मनचाहा व्यवहार कराने और उन्हें मनचाहा व्यवहार करने से रोकने की सामर्थ्य या योग्यता को शक्ति कहते हैं। यदि शक्ति को व्यक्तिगत शक्ति के सन्दर्भ में न लेकर हम राष्ट्रीय संदर्भ में लें तो उसे राष्ट्रीय शक्ति कहेंगे। राष्ट्रीय शक्ति उस मापदण्ड का कार्य करती है, जिसके आधार पर हम अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं पर पड़ने वाले किसी राष्ट्र के प्रभाव का मूल्यांकन कर सकते हैं। इस प्रकार अन्य विषयों को भी अपनी विदेश नीति में तदनुकूल समायोजन करने का अवसर प्राप्त हो जाता है।

हाटमैन के अनुसार “राष्ट्रीय शक्ति से यह बोध होता है कि मनुष्य राष्ट्र कितना शक्तिशाली अथवा निर्बल है या अपने राष्ट्रीय उद्देश्यों की पूर्ति करने की दृष्टि से उसमें कितनी क्षमता है।"

आर्गेस्की के मतानुसार “अपने हितों के अनुकूल दूसरे राष्ट्रों के व्यवहार को प्रभावित करने की योग्यता का नाम 'शक्ति' है। जब तक कोई राष्ट्र ऐसा नहीं कर सकता तब तक वह विशाल, धनवान और महान होते हुए भी शक्तिशाली नहीं कहा जायेगा।

राष्ट्रीय शक्ति के तत्व
(Elements of National Power)

राष्ट्रीय शक्ति मूल रूप से सैनिक शक्ति ही है, किन्तु इस शक्ति की रचना में अनेक तत्व कार्य करते हैं और इसलिये वे भी शक्ति के घटक तत्व कहे जा सकते हैं।

वे तत्व क्या हैं, जिनसे राष्ट्र शक्तिशाली बनता है। एक शक्तिशाली राष्ट्र की कल्पना करते ही एक विशाल क्षेत्र, घनी जनसंख्या, धनी प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर विकसित तथा अतुलनीय सैनिक शक्ति का ध्यान आता है, तथापि इनमें से कोई भी तत्व अकेला या सामूहिक रूप से भी शक्ति का निर्माण नहीं करता।

संक्षेप में राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का विवेचन इस प्रकार किया जा सकता है

मूर्त तत्व अथवा स्थाई तत्व
(Tangible Elements)

1. भूगोल (Geography) - राष्ट्रीय शक्ति के विभिन्न तत्वों में भूगोल सबसे अधिक स्थायी तत्व माना गया है। शक्ति का मुख्य अवयव (तत्व) भूगोल है और किसी राष्ट्र की शक्ति की जड़ उस राष्ट्र की भूगोल में होती है। नेपोलियन ने एक बार कहा था कि “एक देश की विदेश नीति उसके भूगोल द्वारा निर्धारित होती है।" भूगोल राष्ट्रों की शक्ति के लिये एक आधारभूत ढाँचा प्रस्तुत करता है। सबसे महत्वपूर्ण भौगोलिक घटक है किसी देश का क्षेत्रफल, जलवायु, स्थलाकृति (Topography) और उसकी अवस्थिति (Location)।

2. जनसंख्या ( Population) - जनसंख्या का राष्ट्रीय शक्ति के निर्धारक तत्वों में महत्वपूर्ण स्थान होता है। आज विद्वानों में इस बारे में कोई गम्भीर मतभेद नहीं है कि राष्ट्रीय शक्ति के स्त्रोत के रूप में आबादी का क्या महत्व है। ग्लाइचर ने लिखा है कि “जब तक उत्पादन और युद्ध के लिये मनुष्यों की आवश्यकता होगी, तब तक यदि अन्य तत्व समान रहें तो जिस राज्य के पास इन दो कार्यों के लिये बड़ी संख्या में लोग होंगे, वह सबसे अधिक सामर्थ्यवान होगा

3. राज्यों का विस्तार (Extent of Territory) - राज्यों का विस्तार राष्ट्रीय शक्ति की रचना में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाये तो साफ दिखाई देता है कि जितने भी शक्तिशाली शासक रहे हैं, उनके राज्यों का विस्तार बहुत बड़ा रहा है। अशोक महान मुगल शासक अकबर या चीन और अमेरिका हो अगर देखा जाये तो इनका राज्य विस्तार बहुत विशाल रहा है।

4. प्राकृतिक स्रोत (Natural Resources ) - प्राकृतिक संसाधन राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण का बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व हैं। प्राकृतिक संसाधन प्रकृति में उपलब्ध उपयोगी सामग्री और पद्धति को कहते हैं। पामर और पार्किन्स ने प्राकृतिक संसाधन को प्रकृति के उपहारों के रूप में परिभाषित किया है। प्राकृतिक संसाधन राष्ट्र को आत्मनिर्भर तथा शक्तिशाली बनाने के साथ राष्ट्र की शांतिकालीन एवं युद्धकालीन अर्थव्यवस्था के प्राण होते हैं।

5. औद्योगिक क्षमता (Industrial Capacity) - किसी राष्ट्र की शक्ति उसकी औद्योगिक क्षमता पर भी निर्भर करती है। औद्योगिक राष्ट्र ही महान शक्ति कहलाते हैं। आज कोई भी राष्ट्र अपना औद्योगिक विकास किये बिना आत्म-निर्भर नहीं हो सकता। राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने के लिये औद्योगिक क्षमता को बढ़ाना अनिवार्य है। आज किसी भी राष्ट्र की रक्षा शक्ति का अनुमान उसके वैज्ञानिक अविष्कारों तकनीकी विकास और औद्योगिक क्षमता से ही लगाया जा सकता है। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, जापान, जर्मनी आदि राष्ट्र औद्योगिक क्षमताओं से युक्त है तथा अमेरिका और रूस संसार के दो शक्तिशाली राष्ट्र है। जब तक एक औद्योगिक राष्ट्र के रूप में ब्रिटेन का कोई प्रतिद्वन्दी नहीं था तब तक वह सम्पूर्ण विश्व में परम शक्तिशाली राष्ट्र था। इससे यह पता चलता है कि औद्योगिक स्तर में परिवर्तन शक्ति के स्तर में भी परिवर्तन उत्पन्न कर देता है।

6. आर्थिक क्षमता (Financial Capability) - राष्ट्रीय शक्ति के विकास का यह एक अति महत्वपूर्ण तत्व है। यदि कोई राष्ट्र आर्थिक रूप से सुदृढ़ नहीं है तो वह राष्ट्र कभी शक्तिशाली नहीं बन सकता, क्योंकि शक्ति प्राप्त करने के लिये आर्थिक रूप से मजबूत होना आवश्यक है। आज राष्ट्र की रक्षा एवं सुरक्षा में जितना अधिक व्यय होता है उतना राष्ट्र के अन्य कार्यों में नहीं। राष्ट्र की शक्ति का एक तत्व औद्योगिक क्षमता भी है, किन्तु यदि एक राष्ट्र आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है तो वह औद्योगिक रूप से भी सुदृढ़ नहीं हो सकता जोकि किसी भी राष्ट्र की शक्ति का महत्वपूर्ण तत्व है। इसलिये किसी भी राष्ट्र को अपनी शक्ति बढ़ाने के लिये आर्थिक रूप से सुदृढ़ होना अति आवश्यक है।

7. वैज्ञानिक तथा तकनीकी क्षमता (Scientific and Technological Capability) - विज्ञान के ही व्यावहारिक ज्ञान को तकनीक नाम दिया गया है। आज ह विज्ञान और तकनीकी क्रांति के युग में जी रहे हैं। तकनीकी या प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत आविष्कार तथा वे सभी साधन आते हैं, जिनसे राष्ट्र की भौतिक समृद्धि में सहायता मिलती है। तकनीकी ज्ञान राष्ट्रीय शक्ति को अनेक प्रकार से प्रभावित करता है। यह न केवल राष्ट्र के स्वरूप को बदलता है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक संरचना को गतिशील बनाकर देश की राजनीतिक स्वतन्त्रता को अर्थपूर्ण बनाता है।  

8. सैन्य क्षमता (Military Capability) - किसी भी राष्ट्र में शक्ति के लिये वहां के भौगोलिक तथा प्राकृतिक साधनों एवं औद्योगिक क्षमता के तत्वों को वास्तविक महत्व प्रदान करने वाला तत्व है वहाँ की सैनिक क्षमता या तैयारियाँ सैनिक दृष्टि से किसी भी राष्ट्र की शक्ति सैनिकों, शस्त्रों की संख्या तथा उनके सैन्य संगठन के विभिन्न अंगों के वितरण पर निर्भर रहती है।

राष्ट्रीय शक्ति को प्रभावित करने वाले अमूर्त तत्व

राष्ट्रीय शक्ति के कुछ आधारभूत तत्व होते हैं जिनके बिना कोई भी राष्ट्र शक्तिशाली नहीं बन सकता। ये तत्व दो प्रकार के होते हैं- मूर्त तथा अमूर्त राष्ट्र की शक्ति को प्रभावित करने वाले अमूर्त तत्व निम्नलिखित हैं

1. विचारधारा ( Ideology) - विचारधारा द्वारा देश की जनता अपने मूल्यों और दृष्टिकोणों को अपने सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अभिव्यक्त करती है। यह विचारधारा ही है जो किसी भी राष्ट्र की शक्ति को प्रभावित कर सकती है। उदाहरणार्थ नाजीवादी विचारधारा ने जर्मन की जनता को जिस रूप में संगठित, आक्रामक और विस्तारवादी बनाया उसे विश्व इतिहास कभी भुला नहीं सकता। विचारधारा के प्रभाव का दूसरा ज्वलन्त उदाहरण 'अरब राज्यों का संघ है जिसके सदस्य इस्लाम के अनुयायी और यहूदियों के विरोधी हैं। यहूदी विरोधी विचारधारा उन्हें राजनीतिक और सैनिक क्षेत्र में अनेक अवसरों पर एकजुट कर देती है। फलतः आन्तरिक मतभेदों के बावजूद वे इजराइल के विरुद्ध भावनात्मक रूप से संगठित हो जाते हैं।

2. नेतृत्व (Leadership) - राष्ट्रीय शक्ति को प्रभावित करने वाले तत्वों के प्रसंग में एक महत्वपूर्ण तत्व 'नेतृत्व' भी है। कुशल नेतृत्व के अभाव में किसी भी राष्ट्र की शक्ति प्रभावित हो सकती है। ज्ञातव्य है कि देश की बागडोर कुछ नेताओं के हाथ में होती है। फलतः इन नेताओं के गुण एवं महानता पर ही उस देश का भविष्य निर्भर करता है, जितने कुशल नेता होंगे तथा जितना प्रभावकारी उनका नेतृत्व होगा, उतना ही अधिक शक्तिशाली वह देश बन जायेगा। किसी राष्ट्र की शक्ति को दृढ़ता प्रदान करने में नेतृत्व की भूमिका प्रमुख होती है। यह राष्ट्रीय शक्ति का मानवीय तत्व है। नेतृत्व में ही राष्ट्रीय शक्ति के अन्य सभी आधार उचित दिशा निर्देशन पाते हैं। नेतृत्व शक्ति के अन्य तत्वों के विकास तथा अनुशीलन की प्रेरणा देता है। नेतृत्व अकेला भी कभी- कभी इतना प्रभावशाली होता है कि वह शक्ति का एक स्वतन्त्र तत्व माना जा सकता है।

3. नौकरशाही का ढाँचा और क्षमता (Bureaucratic Organisational Efficiency) - किसी राष्ट्र की शक्ति की वृद्धि में वहाँ के नौकरशाही के ढाँचे का प्रमुख स्थान होता है। नौकरशाही का ढाँचा राष्ट्र के विकास और प्रगति में रीढ़ की हड्डी की भांति है।

4. सरकार के प्रकार (Type of Government ) - एक सुयोग्य सरकार राष्ट्रीय शक्ति को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। शासन का स्वरूप चाहे कुछ भी हो, परन्तु राष्ट्रीय शक्ति इस बात पर निर्भर करती है कि राष्ट्र में सुशासन है अथवा नहीं। यदि सरकार मजबूत और टिकाऊ नहीं है तो फिर राष्ट्रीय शक्ति भी सुदृढ़ नहीं होगी। यह सरकारें ही होती हैं जो राष्ट्रीय तत्वों के उचित सदुपयोग एवं दुरुपयोग के लिये उत्तरदायी होती हैं। राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में शासनतन्त्र का स्वरूप भी एक महत्वपूर्ण कारक है। शासन का स्वरूप चाहे कुछ भी हो, परन्तु राष्ट्रीय शक्ति इस बात पर निर्भर करती है कि राष्ट्र में सुशासन है अथवा नहीं।

5. राष्ट्रीय चरित्र (National Character) - राष्ट्रीय चरित्र शक्ति का अमूर्त सूक्ष्म तथा मानवीय तत्व है। मार्गेनथाऊ ने लिखा है कि “राष्ट्रीय शक्ति पर राष्ट्रीय चरित्र का अनिवार्यतः प्रभाव पड़ता है, क्योंकि जो भी व्यक्ति युद्ध तथा शान्ति में राष्ट्र की ओर से कार्य करते हैं, चुनते हैं अथवा चुने जाते हैं, जनमत पर निर्णयात्मक प्रभाव डालते हैं, उत्पादन तथा खपत बढ़ाते हैं। ये सभी लोग अधिक या कम स्तर पर बौद्धिक तथा नैतिक गुणों की छाप से मुक्त रहते हैं, जो राष्ट्रीय चरित्र को निर्मित करते हैं।"

6. राष्ट्रीय मनोबल (National Morale) - इतिहास साक्षी है कि उच्च मनोबल से रहित न तो किसी सेना ने युद्ध में विजय प्राप्त की है और न ही किसी नागरिक ने समाज में गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। इसीलिए मनोबल को सामूहिक शक्ति का गुप्त शस्त्र माना गया है। राष्ट्रीय मनोबल एक ऐसा अमूर्त तत्व है जिसके अभाव में राष्ट्रीय शक्ति की आत्मा है जो दिखाई तो नहीं दे सकती परन्तु उसका प्रभाव देखा जा सकता है।

7. कूटनीति (Diplomacy) - कूटनीति राष्ट्रीय शक्ति का एक ऐसा तत्व है, जिसके अभाव में राष्ट्रीय शक्ति अन्य सभी साधन होते हुए भी कमजोर पड़ सकती है। इसीलिए कहा गया है कि मनोबल राष्ट्रीय शक्ति की आत्मा है तो कूटनीति उसका मस्तिष्क। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का संचालन विदेश नीति द्वारा होता है अतः विदेश नीति को ठीक रीति से लागू करने का कार्य कूटनीति करती है। फलतः कूटनीति भी शक्ति का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जिसके अभाव में राष्ट्रीय शक्ति क्षीण हो सकती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
  2. प्रश्न- राष्ट्र राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
  3. प्रश्न- राष्ट्र राज्य से आप क्या समझते हैं?
  4. प्रश्न- राष्ट्र और राज्य में क्या अन्तर है?
  5. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए तथा सुरक्षा के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।
  7. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय हित में सुरक्षा क्यों आवश्यक है? विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए।
  9. प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा के तत्वों पर प्रकाश डालिए।
  10. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक समरसता का क्या महत्व है?
  11. प्रश्न- भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन से हैं?
  12. प्रश्न- भारत की रक्षा नीति को उसके स्थल एवं जल सीमान्तों के सन्दर्भ में बताइये।
  13. प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  14. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा का विश्लेषणात्मक महत्व बताइये।
  15. प्रश्न- रक्षा नीति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों के विषय में बताइये।
  16. प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा नीति से आप क्या समझते है?
  17. प्रश्न- भारत की रक्षा नीति का वर्णन कीजिये।
  18. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित करते हुए शक्ति की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
  19. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति की रूपरेखा बताइये।
  20. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
  22. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।
  23. प्रश्न- "एक राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन उसकी शक्ति निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व है।' इस कथन की व्याख्या भारत के सन्दर्भ में कीजिए।
  24. प्रश्न- "किसी देश की विदेश नीति उसकी आन्तरिक नीति का ही प्रसार है।' इस कथन के सन्दर्भ में भारत की विदेश नीति को समझाइये।
  25. प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  26. प्रश्न- कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
  27. प्रश्न- कूटनीति का क्या अर्थ है? बताइये।
  28. प्रश्न- कूटनीति और विदेश नीति का सह-सम्बन्ध बताइये।
  29. प्रश्न- 'शक्ति की अवधारणा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति पर मार्गेनथाऊ के दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के आर्थिक तत्व का सैनिक दृष्टि से क्या महत्व है?
  32. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने में जनता का सहयोग अति आवश्यक है। समझाइये।
  33. प्रश्न- विदेश नीति को परिभाषित कीजिये तथा विदेश नीति रक्षा नीति के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  34. प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- शीत युद्ध के बाद के अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण पर एक निबन्ध लिखिये।
  36. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  37. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -(i) सुरक्षा परिषद् (Security Council), (ii) वारसा पैक्ट (Warsa Pact), (iii) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), (iv) दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन (SEATO), (v) केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO), (vi) आसियान (ASEAN)
  38. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
  39. प्रश्न- क्या संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ है? समालोचना कीजिए।
  40. प्रश्न- सार्क पर एक निबन्ध लिखिए।
  41. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन के विभिन्न रूपों तथा उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करते हुए उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
  44. प्रश्न- 'क्षेत्रीय सन्धियों' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  45. प्रश्न- समूह 15 ( G-15) क्या है?
  46. प्रश्न- स्थाई (Permanent) तटस्थता तथा सद्भावनापूर्ण (Benevalent) तटस्थता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- नाटो (NATO) क्या है?
  48. प्रश्न- सीटो (SEATO) के उद्देश्य क्या हैं?
  49. प्रश्न- सार्क (SAARC) क्या है?
  50. प्रश्न- दक्षेस (SAARC) की उपयोगिता को संक्षेप में समझाइए।
  51. प्रश्न- “सामूहिक सुरक्षा शांति स्थापित करने का प्रयास है।" स्पष्ट कीजिये।
  52. प्रश्न- 'आसियान' क्या है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) तथा तटस्थता (Neutrality) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में समझाइये।
  55. प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र संघ पर एक टिप्पणी कीजिए।
  56. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित कीजिये।
  57. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण और आयुध नियंत्रण में क्या अन्तर है?
  58. प्रश्न- शस्त्र नियंत्रण और निःशस्त्रीकरण में क्या सम्बन्ध है?
  59. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आन्तरिक व बाह्य खतरों की व्याख्या कीजिये।
  60. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
  61. प्रश्न- 'चीन-पाकिस्तान धुरी एवं भारतीय सुरक्षा' पर एक निबन्ध लिखिए।
  62. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
  63. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व एवं अर्थ की व्याख्या कीजिये।
  64. प्रश्न- गैर-सैन्य खतरों से आप क्या समझते हैं? उनसे किसी राष्ट्र को क्या खतरे हो सकते हैं?
  65. प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
  66. प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- रक्षा की अवधारणा बताइए।
  68. प्रश्न- खतरे की धारणा से आप क्या समझते हैं? भारत की सुरक्षा के खतरों की समीक्षा कीजिए।
  69. प्रश्न- राष्ट्र की रक्षा योजना क्या है और इसकी सफलता कैसे निर्धारित होती है?
  70. प्रश्न- "एक सुदृढ़ सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिये।
  71. प्रश्न- भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  72. प्रश्न- पाकिस्तान की आणविक नीति का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिये।
  73. प्रश्न- चीन के प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- चीन की परमाणु क्षमता के बारे में बताइए।
  75. प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  76. प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
  77. प्रश्न- भारत के लिये नाभिकीय शक्ति (Nuclear Powers ) की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
  78. प्रश्न- पाकिस्तान की परमाणु नीति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  79. प्रश्न- पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- क्या हथियारों की होड़ ने विश्व को अशान्त बनाया है? इसकी समीक्षा कीजिए।
  81. प्रश्न- N. P. T. पर बड़ी शक्तियों के दोहरी नीति की व्याख्या कीजिए।
  82. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (CTBT) के सैद्धान्तिक रूप की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- MTCR से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा (NMD) से आप क्या समझते हैं?
  85. प्रश्न- परमाणु प्रसार निषेध संधि (N. P. T.) के अर्थ को समझाइए एवं इसका मूल उद्देश्य क्या है?
  86. प्रश्न- FMCT क्या है? इस पर भारत के विचारों की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
  88. प्रश्न- छोटे शस्त्रों के प्रसार से आप क्या समझते हैं? इनके लाभ व हानि बताइये।
  89. प्रश्न- शस्त्र दौड़ से आप क्या समझते हैं?
  90. प्रश्न- शस्त्र सहायता तथा व्यापार कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
  91. प्रश्न- शस्त्र व्यापार करने वाले मुख्य राष्ट्रों के नाम बताइये।
  92. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये वाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ क्या हैं? उनसे निपटने के उपाय बताइये।
  93. प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।
  94. प्रश्न- भारत में अनुसंधान तथा विकास कार्य (Research and Development) पर प्रकाश डालिए तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनों का भी उल्लेख कीजिए।
  95. प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
  96. प्रश्न- नाभिकीय और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विशेष सन्दर्भ में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
  97. प्रश्न- "एक स्वस्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  99. प्रश्न- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए

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